Masijivi

About The Book

यह उपन्यास-कृति डॉ० पवित्र कुमार शर्मा (लेखक) के सृजन-कर्म और प्रकाशन के दिनों की सच्चाई का बयान करती है। इस उपन्यास में वे ‘पवन’ नामक केन्द्रीय पात्र की भूमिका में है। उन्होंने किस प्रकार पन्द्रह वर्ष की आयु में छोटी-छोटी कविता और कहानियों के माध्यम से अपने साहित्य-सृजन अथवा लेखन-कार्य की शुरूआत की थी और किस प्रकार तीस वर्ष की आयु में 300 पुस्तकों का सृजन करने के बाद अपनी 250 अप्रकाशित किताबों के निर्वासन और विलोपन का मानसिक कष्ट बर्दाश्त किया और फिर किस तरह अपने प्रकाशकों की बताई राह पर चलते हुए नए सिरे से एक हजार किताबों का सृजन किया; न सिर्फ सृजन किया बल्कि अपनी 500 बड़ी (हार्ड बाउण्ड) पुस्तकों तथा 300 छोटी (बालोपयोगी) पुस्तकों को दिल्ली और जयपुर के विभिन्न प्रकाशन-संस्थानों द्वारा प्रकाशित भी कराया- इस सबका विस्तार से वर्णन इस पुस्तक में किया गया है। “मसिजीवी” नामक यह उपन्यास लेखक डॉ० पवित्र कुमार शर्मा की सृजन-यात्रा का पहला पड़ाव है। पड़ाव के इस बिन्दु पर उन्होंने अपने द्वारा सृजित की गई इस काल्पनिक; वस्तुतः वास्तविक और स्वाभाविक जीवन-गाथा के माध्यम से अपने-आपको पुनः जीने की और अपनी साहित्य-साधना की पुनः पड़ताल करने की कोशिश की है। हिन्दी-साहित्य में उपन्यास के क्षेत्र में यह प्रयोग अपने आप में अदभुद और अनूठा है।
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