मस्जिद में ब्राह्मण : बाबा ने लगभग अस्सी वर्षों का देह-काल पाया। इनमें से साठ वर्ष उन्होंने शिरडी गाँव में व्यतीत किये। इस दीर्घावधि के दौरान उन्होंने एक भी क्षण ऐसा नहीं जिया जिसे नितांत निजी कहा जा सके एक भी कार्य ऐसा नहीं किया जो निज-हित के लिये हो। उन्होंने प्राण-धारण के लिये जितना आहार चाहिये उससे एक कौर भी अधिक नहीं लिया तन ढकने के लिये जितने वस्त्र चाहिये उससे एक सूत भी अधिक नहीं लिया और रहने के लिये जितनी जगह चाहिये उससे एक इंच भी ज्यादा जमीन नहीं ली। बाबा ने संसार से अत्यल्प लिया और अपनी साधना का सर्वस्व अर्पित किया। बाबा ऐसे लोकोत्तर महापुरुष थे जिनके दर्शन मात्र से गहन शांति एवं सुरक्षा की अनुभूति होती थी और दुःख-कष्ट मिट जाने का भरोसा जागृत होता था।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.