मालिश कराने की परंपरा बहुत प्राचीन व लोकप्रिय है। अधिकांश लोगों को अस्वस्थ होने पर अथवा शरीर के अकड़ जाने पर पहलवानों को मल्लयुद्ध (कुश्ती) के दौरान और स्त्रियों को प्रसवकाल के पश्चात् मालिश करवाते देखा गया है। नवजात को जन्म से छह माह तक तो शारीरिक विकास के लिए सरसों के तेलयुक्त उबटन से मालिश करना बहुत आवश्यक है। राजा-महाराजा तो अपने दरबार में मसाज स्पेशलिस्ट को रखते थे। कुछ लोग तो शौकिया मालिश करवाते हैं। अब यों कहिए कि इसकी उपयोगिता और अनिवार्यता दोनों ही स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभप्रद है। तभी तो वर्तमान में जगह-जगह मसाज सेंटर खुले हुए हैं।<br>प्रस्तुत पुस्तक में मालिश से संबंधित ऐसी ही लोकप्रिय पद्धतियों जल व धूप स्नान शक्तिवर्धक भोजन आदि के बारे में विस्तार से बताया गया है। उम्मीद है कि यह पुस्तक पाठकों को निश्चय ही पसंद आएगी।
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