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About The Book
Description
Author
जब कभी आप गाँव की ओर निकले होंगे आपने देखा होगा किसी बड़ या पीपल के पेड़ के नीचे चबूतरे पर कुछ मूरतें रखी हैं-माटी की मूरतें!ये मूरतें-न इनमें कोई खूबसूरती है न रंगीनी। किंतु इन कुरूप बदशक्ल मूरतों में भी एक चीज है शायद उस ओर हमारा ध्यान नहीं गया वह है जिंदगी! ये माटी की बनी हैं माटी पर धरी हैं; इसीलिए जिंदगी के नजदीक हैं जिंदगी से सराबोर हैं। ये देखती हैं सुनती हैं खुश होती हैं; शाप देती हैं आशीर्वाद देती हैं। खुश हुईं-संतान मिली अच्छी फसल मिली यात्रा में सुख मिला मुकदमे में जीत मिली। इनकी नारा