MAURITIOUS LEKHAK RAMDEV DHURANDHAR KI JUWANI

About The Book

डॉ. दीपक पाण्डेय की नवीनतम पुस्तक 'मॉरिशस के लेखक रामदेव धुरंधर की जुबानी' रामदेव धुरंधर के कथा साहित्य की भावभूमि और रचना प्रक्रिया पर संवादात्मक शैली में प्रस्तुत की गई है । मॉरीशस में हिंदी भाषा और साहित्य की समृद्ध परंपरा है जो भारतीय मजदूरों के मॉरीशस पहुँचने के साथ रोपी गई थी। आज मॉरीशस में हिंदी साहित्य की सभी विधाओं में लेखन हो रहा है और वैश्विक हिंदी जगत में इसकी विशिष्ट पहचान है। मॉरीशस के कथा-साहित्य में रामदेव धुरंधर अग्रणी पंक्ति के रचनाकार हैं। धुरंधर जी ने प्रश्नों के उत्तर सहृदयता और गंभीरता से दिए हैं। इस संवाद से प्रख्यात लेखक धुरंधर जी की लेखनी के वैशिष्ट को पहचाना जा सकता है। धुरंधर जी का छ्ह खंडों में प्रकाशित उपन्यास 'पथरीला सोना' हिंदी साहित्य की अनुपम निधि है जिसकी कथा लगभग 3000 पृष्ठों की है और उसमें 600 के करीब पात्र हैं। धुरंधर जी ने अपनी इस विशालतम कृति के संबंध में जो व्यखात्मक उत्तर दिए हैं वे इस बात को प्रमाणित करते हैं कि यह उपन्यास भारतीय गिरमिटिया मजदूरों के जीवन की छोटी-बड़ी घटनाओं का दिग्दर्शन कराते हुए मॉरीशस के इतिहास को कलात्मक ढंग से प्रस्तुत किया गया दस्तावेज़ बन गया है। धुरंधर जी की स्वीकारोक्ति है कि ' मेरे अतीत ने मेरे लेखन का पिटारा मुझे थमा दिया । ऐसा न हुया होता तो मैं आज कहने की स्थिति में न होता कि मेरे लेखन का सफर मेरे अतीत से शुरू होकर मेरे वर्तमान में पहुंचा है । उम्र के हिसाब से मेरा जीवन जिस पड़ाव पर है उसमें मेरे लेखन में विशेष रूप से मेरा देश हावी रहा है। मैंने उसी के चित्रण में अपने को तपाया है ।' वास्तव में इस पुस्तक का संवाद जहाँ लेखक के साहित्यकर्म को समझने का अवसर देता है वहीं लेखक के साहित्य के माध्यम से मॉरीशस और भारत-भारतीयता के संबंधों की गहराई में उतरने का द्वार भी खोलता है।
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