Maxim Gorky - Chuni Hui Kahaniyaan (Khand 2)

About The Book

मक्सिम गोर्की के विराट रचना-संसार के एक बहुत बड़े हिस्से से पूरी दुनिया के पाठक अभी भी अपरिचित हैं। उनके कई महान उपन्यास उत्कृष्ट कहानियाँ और विचारोत्तेजक निबन्ध अंग्रेज़ी और अन्य यूरोपीय भाषाओं में भी उपलब्ध नहीं हैं। इस मायने में भारतीय भाषाओं और ख़ासकर हिन्दी के पाठक अपने को और भी अधिक वंचित स्थिति में पाते रहे हैं।अगर हम केवल कहानियों की बात करें तो ‘इटली की कहानियाँ’ संकलन में शामिल कहानियों के अतिरिक्त पिछले 70-72 वर्षों के दौरान गोर्की की अन्य लगभग 25 या 26 कहानियाँ ही हिन्दी में छपी हैं और वे भी कहीं एक साथ उपलब्ध नहीं हैं। नयी पीढ़ी के हिन्दी पाठक कुछ ही कहानियों से परिचित हैं।बीसवीं सदी के इस महान सर्जक और समाजवादी यथार्थवाद के पुरोधा की सभी अनूदित-अननूदित कहानियों को एक साथ हिन्दी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने के इस ज़रूरी काम को परिकल्पना प्रकाशन ने पूरा करने का निर्णय लिया। और इस दौरान ऐसी 33 कहानियाँ मिलीं। इनमें से सात हिन्दी में पहली बार अनूदित और प्रकाशित हुई हैं। यह चार खण्डों में प्रकाशित होनी थीं जिसमें से तीन खण्ड प्रकाशित हो चुके हैं।
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