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Description
Author
कवि विजय शंकर प्रसाद की विशेषता विशेष शैली में तुकांत् शब्दों की जादूगरी से गुलाब़ को प्रतीक मानते हुए सामाजिक विसंगतियों पे किया गया प्रहार मायावी गुलाब़ःआपबीती है जो हाशिये पे धकेले गये दबे-कुचलों की आवाजों को बुलंद करता है और समर्थों की गलती को भी बेबाकी से परोसने की विधा की अभिव्यक्ति की पुष्टि करता है। इनकी पहली किताब सुधि की लौ और दूसरी किताब मायावी गुलाब़: आपबीती है। रचनाकार कवि बाबा नागार्जुन और कवि सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला को अपना आदर्श मानते हैं ।