प्रेमभाव से संगीत की रागिनी छेड़ने वाली कृष्ण की आराधिका मीराबाई का साहित्य में अद्वितीय स्थान है। ऐसी भक्ति के तपोवन की शकुन्तला राजस्थान के मरुस्थल की मंदाकिनी गिरिधर नागर की मोहिनी मूरत पर बलिहारी जाने वाली माधुर्य भाव की उपासिका प्रेम दीवानी मीरा पर केंद्रित पुस्तक की रचयिता विदुषी श्रीमती कल्पना श्रीवास्तव के शोधकार्य का प्रकाशन -मीरा का गीतकाव्य परक अध्ययन शीर्षक से किया जा रहा है जिसमें आपने मीरा के युगीनपरिवेश व्यक्तित्व कृतित्व के साथ गीतों में वैयक्तिकता संगीतात्मकता रागात्मकता चित्रात्मकता एवं सौंदर्यबोध का अद्भुत समन्वय प्रस्तुत किया है। उनके गीतों को पढ़ सुनकर नरसी मेहता ने मीराबाई को अविरल प्रवाह से गीत रचना का आशीर्वाद दिया था। मीरा के व्यक्तित्व व उनके गीतों में युग की मार्मिकता मधुरता जीवनव्यापिनी तन्मयता दृष्टव्य है ।उनके गीतों में युग युग से प्रियतम के वियोग की तड़प आत्मा की पुकार समायी हुई है । उनके गीत अन्तस् के कोमल गेय भावों को उद्वेलित करने वाले हैं ।प्रेम दीवानी मीरा के हृदय की अथाह वेदना उनके आंसुओं से आर्द्र हैं।प्रेम साधना का रहस्य और प्रीति का मर्म दृष्टिगत होता है। मीरा का गीतकाव्य परक अध्ययन करने के लिए मैं विदुषी कल्पना श्रीवास्तव को कोटिश: बधाइयां देती हूं। उनकी यह पुस्तक शोधकर्ताओं विद्यार्थियों का मार्ग प्रशस्त करें। अनन्त शुभकामनाएं एवं बधाइयां।
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