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About The Book
Description
Author
गागर में सागर की तरह इस पुस्तक में हिन्दी के कालजयी कवियों की विशाल काव्य-रचना में से श्रेष्ठतम और प्रतिनिधि काव्य का संकलन विस्तृत विवेचन के साथ प्रस्तुत है। प्रस्तुत चयन में मीरां (1498 -1546) के विशाल काव्य संग्रह से चुनकर प्रेम भक्ति संघर्ष और जीवन विषय पर पद प्रस्तुत किये गये हैं। इनमें मीरां के कविता के प्रतिनिधि रंगों को अपने सर्वोत्तम रूप में देखा-परखा जा सकता है। मीरां भक्तिकाल की सबसे प्रखर स्त्री-स्वर हैं और हिन्दी की पहली बड़ी कवयित्री के रूप में विख्यात हैं। उनकी कविता की भाषा अन्य संत-कवियों से भिन्न है और एक तरह से स्त्रियों की खास भाषा है जिसमें वह अपनी स्त्री लैंगिक और दैनंदिन जीवन की वस्तुओं को प्रतीकों के रूप में चुनती हैं। वे संसार-विरक्त स्त्री नहीं थीं इसलिए उनकी अभिव्यक्ति और भाषा में लोक अत्यंत सघन और व्यापक है। उनकी कविता इतनी समावेशी लचीली और उदार है कि सदियों से लोग इसे अपना मान कर इसमें अपनी भावना और कामना को जोड़ते आये हैं। मीरां के पद राजस्थानी गुजराती और ब्रजभाषा में मिलते हैं। इस चयन का सम्पादन डॉ. माधव हाड़ा ने किया है जिनकी ख्याति मीरां के मर्मज्ञ विद्वान के रूप में है। उदयपुर विश्वविद्यालय में प्रोफ़ेसर और हिन्दी विभाग के अध्यक्ष रहे डॉ. हाड़ा मध्यकालीन साहित्य और कविता के विशेषज्ञ हैं। वह इन दिनों भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान शिमला में फ़ैलो हैं।