मैं प्रभूलाल गर्ग उर्फ काका हाथरसी अपने जीवन के 88वें वर्ष में प्रवेश कर रहा हूं। जो कुछ कहूंगा सच-सच कहूंगा। सच के अतिरिक्त कुछ नहीं कहूंगा। अपनी प्रसिद्धि छलांग लगाते-लगाते भगवान तक पहुंच गई है इसलिए उधर से भी कवि सम्मेलन का आमंत्रण आने वाला है। न मालूम कब प्रभु जी अपने प्रभूलाल को हंसने- हंसाने के लिए अपने दरबार में बुला लें। किन्तु जाने से पूर्व भगवान से अपना पारिश्रमिक जरूर तय करेंगे तब स्वीकृति देंगे।
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