दिखता काला देता उजालाघनघोर अंधेराजगमगाता पूरा संसार है।ये कैसा माया जाल है।जो खुद बादलों से घिराचमकाता तारों को हैरोशनी देता जाता हैन जाने कितने सपने दिखाता कितने आँसू छिपातातकलीफ़ छुपाताकितने जिंदगी को दफ़नातान जाने ये रात कितनों का सहारा बनता।।सूरज डूबा चाँद उगा ना जाने इन बादलों में कितने आँसू छुपाई। ना जाने कितनों की आस जगाई ना जाने कितनो की नींद उड़ाई ना जाने कितनों को सुलाई ना जाने कितनों की चेहरे मुस्कुराई सितारों के चमक के पीछे कितने राज़ दफनाई।ना जाने किसके नसीब में ये रात आखिरी कहलाएगी किसी के लिए नया सवेरा बन के आएगी न जाने इस अंधेरे के पीछे कितनी गहराईयाँ होंगी।
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