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About The Book
Description
Author
प्यार से तुम्हारी मुलाक़ात तभी हो जाती है जब से तुम होश संभालते हो। कुछ मील दूर नफ़रत भी साथ हो जाती है। रोज़-रोज़ प्यार बटोरते नफ़रत झेलते और बाकी मिलते जाने वाले अनुभव लिए तुम अपनी शख़्सियत तराशते रहते हो। यह शख़्सियत इस मिली-जुली विरासत को कंधे पर उठाए दुनिया से रु-ब-रु होती अपने ऊपर और परतें चढ़ाती चलती है। ज़िंदगी बटोरते हँसते रोते घुटते-टूटते वक़्त के साथ डूबते-उबरते चेहरे बदल जाते हैं साथी बदल जाते हैं घर शहर पसंद नापसंद असलियत शख़्सियत सब बदल जाते हैं। हवा में उड़ती शख़्सियत और मन में दफ़्न जज़्बात दोनों के बीच की खींच-तान ही जब ज़िन्दगी हो जब शख़्सियत आसमान पर सब लिखना चाहती हो और उबलते जज़्बात उफ़ान पर आकर भी अटक जाते हों ऐसे ही हिसाबों में फँसे इन दिलवालो की सुनते हैं। कौन सा दर्द का दरिया पार किया और किस प्यार के बवंडर में दबे हैं। जज़्बात जो ज़िंदगी से दिखते हैं... देखें एहसास जो शायरी से दिखते हैं... देखें चलो देखें