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About The Book
Description
Author
कितना अच्छा महसूस कर पा रही हूँ जब मैं अपनी बंद आँखों के सपनों को खुली आँखों से देख पा रही हूँ। बहुत अच्छा लगता है जब मैं अपने सपनों के बारे में सोचती हूँ देखती हूँ। वो प्यार जो मुझे हकीकत की दुनिया में नहीं मिला वो प्यार मुझे मेरे सपनों ने दिया है। मैं हमेशा अपने सपनों में ही रहना चाहती हूँ। कभी इस हकीकत की दुनिया में वापस नहीं आना चाहती क्योंकि ये दुनिया मुझे बचपन से ही अच्छी नहीं लगती। अब उम्र तो बितानी ही पड़ेगी ना क्योंकि वो तो पहले से भगवान ने हम सबकी फिक्स करके रखी होती है इसीलिए मेरा भगवान पर अटूट विश्वास ही मुझे उस भगवान की दुनिया से जोड़े रखता है।