पल्लवी गर्ग का यह पहला कविता संग्रह है। उनका आगमन धमाके भरा नहीं है । यह विनम्र प्रवेश है जिसमें चौंका देने वाली प्रवृत्ति से सायास बचाव है। दरअसल यह चेतस काव्य दृष्टि है और शायद उन्हें अपने व्यक्तिगत जीवनानुशासन से मिली होगी क्योंकि वे अपने इर्द-गिर्द बेहद शाइस्तगी से देखती हैं। उनकी एक कविता है ''तस्वीरें''। इस कविता में जो जीवन की आपा-धापी में विस्मृत जीवन को बचा लेने का प्रयास करती हैं पुरानी तस्वीरों को संजो लेने के साथ। इस तरह के जीवन दर्शन को विश्लेषित करने के लिए वे जटिलता से बचती हैं इसलिए सम्प्रेषण सहज हो जाता है। काव्य परिदृश्य के प्रति अपना स्थान बना लेने उन्मुख कविता वह प्रयास नहीं कर सकती जो इस सहजता में सम्भव है। कहना न होगा कि पल्लवी इस ओर ही प्रयासरत हैं।
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