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About The Book
Description
Author
शोख निगाहों से मत पूछो उनकी आश्नाई का एतबारइल्म कूचियों में ढूंढा करते वो संजीदगी पोशीदा है अक्श की गहराईयों में।डॉ. रानी रुणम ए मेरी कलम इतना सा एहसान कर देजो कह न पाई जुबां वो सब बयान कर दे।हर किसी का नसीब लिखकर मेरी बबाक कलम को सभी के दिलों के करीब कर दे।भारतमेरी बेबाक कलम जो लिखती है जज़्बातथिरकते लफ़्ज़ करते हैं बात।स्याही में लिपटे हुए अश्क़ हैंजो करते हैं दिलों पर आघात।डॉ. हारुन रशीद