प्रख्यात साहित्यकार रांगेय राघव ने विशिष्ट साहित्यकारों कवियों कलाकारों और चिंतकों के जीवन पर आधारित उपन्यासों की एक शृंखला लिखकर साहित्य की एक बड़ी आवश्यकता को पूर्ण किया है। प्रस्तुत उपन्यास रीतिकाल के महान कवि बिहारी के जीवन को चित्रित करता है: मेरी भव बाधा हरो राधा नागर सोय जा तन की झाईं परे स्याम हरित घुति होय। ...उनके सुप्रसिद्ध पद से इस उपन्यास का नाम लिया गया है। अपनी एकमात्र कृति 'बिहारी सतसई' के ही सहारे अमर हुए सरस-हृदय कवि बिहारीलाल का जीवन इस उपन्यास में बहुत सरस तथा सफल रूप से जीवंत किया है। कवि बिहारी की शृंगार कविताओं ने प्राचीन हिंदी साहित्य में नवीन मानक स्थापित किए। इस उपन्यास में बिहारी के साथ ही कविवर केशवदास अब्दुर्रहीम खानखाना तथा अन्य समकालीन कवियों के रोचक प्रसंग उस बीते हुए युग को एक बार फिर पाठकों के सामने साकार कर देते हैं।
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