Meri Bhooli Bisari Yaadein

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मेरा जन्म 15 फरवरी 1940 को घड़ावठी गांव जिला रोहतक हरियाणा के एक गरीब परिवार में हुआ। इसमें पिताजी शिवराम माताश्री भाग्यवती देवी बड़ी बहन हर देवी बड़े भाई फते सिंह तथा स्वयं मेरे सहित पांच सदस्यों का परिवार था। मेरे जन्म से पूर्व रामायण के चल रहे पाठ में मालिक को सूचना देने गए थे इसलिये उनके रामायण के पाठ को सुनने के अपराध में पिताजी को बहरा कर दिया गया था। वास्तव में उन्होंने कुछ भी नहीं किया था लेकिन पंडित के कहने पर यह सजा दी गई थी। उस समय उनकी आयु 25-26 वर्ष की रही होगी इसलिए वे केवल मेरी बहन का नाम जानते थे। उन्होंने वर्ष 1944 में मेरी बहन की शादी के खर्चे के लिए राजू-जमींदार से 60 रुपये का कर्ज लिया था जिसे चुकाने में वे असमर्थ थे क्योंकि उस समय बेगारी में काम किया जाता था और मजदूरी नहीं मिलती थी। इसलिये भाई साहब को केवल 60 रुपये ब्याज के बदले पाली बनाया गया और पिताजी जमींदार के बंधुवा बन गए। पाली बने तीन वर्षों के दौरान भाई साहब की दोस्ती अन्य तीन बड़े पालियों से हो गई। उन चार पालियों का एक गैंग बन गया और एक दिन भाई साहब भी अपने गैंग के साथ घर छोड़ कर भाग गए। देश की आजादी के साथ वे भी आजाद हो गए थे।
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