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About The Book
Description
Author
मेरे मन के उद्गार “मुझे इन्तजार है उस पल का जब मेरी रचना में किसी का सपना मुस्करायेगा “ इसी भावना के साथ मेरी बचपन में कब तुकबन्दी शुरू हो गयी मुझे इल्म नहीं है। कालेज में साथियों की प्रशंसा व प्रोत्साहन से कारवां आगे बढ़ रहा था। फिर मार्गदर्शक के रूप में मेरे जीजा जी के पारिवारिक मित्र श्री शांति भारद्वाज ‘राकेश ‘ मिले जो राजस्थान साहित्य अकादमी की शाखा हाड़ोती शोध प्रतिष्ठान के प्रधान थे। उन्होने मेरी रचानायें सवांरने में सहायता करी। फिर मित्र कवि निर्मल पांडे व डाक्टर इन्द्र बिहारी सक्सेना व साहित्य समिति भीमगंज मंडी के कविमित्रों व उनके द्वारा आयोजित काव्यगोष्ठियों में मेरी लघु मनोवैज्ञानिक कविताओं व क्षणिकाओं का रूप संवरता गया।