Meri Maa Ke Baees Kamre : Kashmiri Pandito Ke Palayan Ki Kaljayi Katha (Hindi Translation of Our Moon Has Blood Clots: A Memoir of A Lost Home In Kashmir)


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About The Book

राहुल पंडिता जब महज 14 वर्ष के थे तो उन्हें अपने परिवार सहित श्रीनगर से पलायन करना पड़ा था। वे मुस्लिम बहुल कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक समुदाय के कश्मीरी पंडित थे जहाँ अस्सी के दशक के आखिर में भारत से आजादी को लेकर लगातार उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। मेरी माँ के बाईस कमरे कश्मीर के दिल से निकली वह कहानी है जिसमें इस्लामी उग्रवाद के कारण लाखों कश्मीरी पंडितों के उत्पीडऩ हत्याओं और पलायन का दर्द छुपा है। यह एक ऐसी आपबीती है जिसमें एक पूरा समुदाय बेघरबार होकर अपने ही देश में निर्वासितों का जीवन जीने को मजबूर हो जाता है। राहुल पंडिता की यह कहानी झकझोर कर रख देनेवाली है और इसे बार-बार कहा जाना जरूरी है ताकि हम इतिहास से सबक ले सकें।
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