कामतानाथ की मुख्य पहचान एक कहानीकार के रूप में थी। नयी कहानी के बाद 1960 के दशक में जो युवा कथाकारों की पीढी सामने आईं वे उसके अग्रणी हस्ताक्षर थे । उनकी कृतियों से वर्गीय दृष्टि और क्रांतिकारी चेतना अलग से ध्यान खींचती है । मुक्तिबोध पुरस्कार उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान की ओर से यशपाल पुरस्कार साहित्य भूषण और महात्मा गांधी सम्मान से अलंकृत कामतानाथ की साहित्यिक यात्रा 8 दिसम्बर 2012 को संपूर्ण हुई लेकिन उनकी सृजनात्मकता उनकी कृतियों के माध्यम से हमेशा जीवित रहेगी ।
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