कृश्न चन्दर उस दौर के बहुत सफल लेखक थे जब अधिकतर लेखक हिन्दी और उर्दू दोनों ही भाषाओं में लिखते थे। शुरुआत उन्होंने उर्दू से की थी लेकिन भारत-विभाजन के बाद हिन्दी में लिखना शुरू किया। कृश्न चन्दर का बचपन जम्मू के पुंछ क्षेत्र में बीता और उनकी बहुत-सी कहानियां कश्मीर की पृष्ठभूमि पर लिखी गई हैं। वामपंथी विचारधारा वाले कृश्न चन्दर के लेखन में धर्मनिरपेक्षता और मानवीय मूल्यों की झलक मिलती है। यद्यपि कृश्न चन्दर की मुख्य पहचान एक कहानीकार के रूप में है फिर भी 63 वर्ष के अपने जीवन में उन्होंने 30 से अधिक कहानी-संग्रह 20 उपन्यास अनेक रेडियो-नाटक और हिन्दी फिल्मों की पटकथाएं भी लिखीं। उनका उपन्यास ‘एक गधे की आत्मकथा' आज भी पाठकों में उतना ही लोकप्रिय है।
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