यह गाथा है ब्रह्मांड के सबसे ताकतवर नगर - मिख्ला पुरवा और सहोपुरम के संग्रामो की 423 मि.पु.- एक गुलाम साम्राज्य का इतिहास कुर्बानियों के इतिहास के सिवाय कुछ नहीं होता। साहोपुरम भी एक ऐसा ही साम्राज्य है। उसके लुटेरे विषाल समुन्दर पार कर मिख्ला लूटने मिख्ला पुरवा आते हैं ताकि गुलामी की बेडियों से मुक्त हो सकें। उसी दरमियान एक रोमांचक घटना घटती है- लुटेरिन कोसी जो कि साहोपुरम के सरदार टोबा की पत्नी है मिख्ला पुरवा में ही रह जाती है। उसे बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया जाता है। जिसकी कोख से जन्म लेता है महान योद्धा वासीन। मिख्ला पुरवा की अवाम वासीन को लुटेरे की नजर से ताँकती है जबकि वह स्वंय को लुटेरा नहीं मानता है और यह साबित करने के लिए वह असंभव कार्य को चुनौती देता है। मिख्ला की गाथायें आज भी वही हैं जो सदियों पूर्व थीं। मिख्ला उपन्यास फैंटेसी जगत की एक अद्भुत कृति है जिसमें वर्णित हरेक पहलू विचित्र दुनिया से रुबरु कराता है।.
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