Mirza Galib Ke Mashur Sheron Shayri
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​'मिर्ज़ा ग़ालिब के मशहूर शेर' (Mirza Ghalib Ke Mashoor Sher) उर्दू साहित्य के महान शायर मिर्ज़ा ग़ालिब की प्रतिनिधि शेरों का संग्रह है। इस पुस्तक में उनकी कुछ प्रसिद्ध रचनाएँ शामिल हैं जो उनकी गहरी सोच और शायरी की उत्कृष्टता को दर्शाती हैं।​प्रमुख शेर:हजारों ख्वाहिशें ऐसी कि हर ख्वाहिश पर दम निकले बहुत निकले मेरे अरमां लेकिन फिर भी कम निकले​न था कुछ तो खुदा था कुछ न होता तो खुदा होता डुबोया मुझको होनी ने न होता मैं तो क्या होता?​कितना खौफ होता है शाम के अंधेरों में पूछ उन परिंदों से जिनके घर नहीं होते​हाथों की लकीरों पर मत जा ए ग़ालिब नसीब उनके भी होते हैं जिनके हाथ नहीं होता​इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब' कि लगाए न लगे और बुझाए न बुझे​इन शेरों के माध्यम से ग़ालिब ने प्रेम जीवन और अस्तित्व के विभिन्न पहलुओं पर अपनी गहरी सोच को व्यक्त किया है जो आज भी पाठकों के दिलों को छूते हैं।
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