भारत के विदेश नीति विशेषज्ञों में डॉ. वेदप्रताप वैदिक का नाम सुविख्यात है। पिछले 55 वर्षों में विदेश नीति पर डॉ. वैदिक के अनेक शोधग्रंथ और सैकड़ों लेख प्रकाशित हो चुके हैं। वे सिर्फ विदेश नीति विचारक ही नहीं हैं अपितु उन्होंने भारत और पड़ोसी देशों के लगभग सभी प्रधानमंत्रियों और विदेश मंत्रियों के साथ सतत संपर्क रखकर विदेश नीति के क्रियान्वयन में सक्रिय योगदान किया है। वे जवाहरलाल नेहरु वि.वि. के ‘स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज’ के पहले पीएच.डी. विद्वान हैं। साथ ही ‘इंडियन इंस्टीट्यूूट फॉर डिफेन्स स्टडीज एंड एनालिसिस’ के भी सीनियर फेलो रह चुके हैं। उन्होंने लगभग 90 देशों की यात्रा की है और रूसी फारसी जर्मन एवं संस्कृत भी जानते हैं। डॉ. वैदिक ने 1999 में संयुक्तराष्ट्र संघ में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।भारतीय विदेश नीति पर अब तक सैकड़ों ग्रंथ प्रकाशित हो चुके हैं लेकिन यह अपनी तरह का अनूठा ग्रंथ है। इस ग्रंथ में डॉ. वैदिक के ऐसे लेखों का संग्रह है जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति पर तत्काल की गई मौलिक टिप्पणियां हैं। इन टिप्पणियों में मोदी की अपूर्व पहलों की जीवंत सराहना है तो उनके कई कदमों की दो-टूक आलोचना भी। सुझाव भी हैं चेतावनियां भी हैं मार्गदर्शन भी है। प्रतिदिन दर्जनों देशी और विदेशी अखबारों में छपनेवाले इन लेखों के पाठकों की संख्या लाखों में हैं। हिंदी के प्रबुद्ध पाठकों के लिए विदेश नीति पर यह मौलिक संग्रह प्रस्तुत करते हुए ‘डायमंड बुक्स’ गर्व का अनुभव करता है।
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