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About The Book
Description
Author
एक सारी अजीब विरासत से दूर अंधेरे में चिराग जलाने के बराबर वाला साथ। हाँ जी मोह और उनकी अकेलेपन की कहानी कुछ ऐसी है। जब-जब वो अकेले होते है उनकी साथी बन जाती है। एक साये की गुनगुनाहट जो उन्हें पन्ने से जोड़े रखती है। यादो से लेकर दिन भर का सिला दोनों साथ बैठ कर पन्नो पर उतारते है। एक अजीब सख्शियत है मोह जो रोज गुज़र रहा है यादो में और अपने ही ख्यालों में। जो बस बढ़ रही है उनकी शायरियां और उनकी कविताएँ है। आशा है आपको भी इस सफर को जरा महसूस करने में मोह आएगा।About the Authorपंकज सिंह जिन्हें हम मोह के नाम से भी जानते है सिलीगुड़ी के निवासी है। वर्तमान में ये बी. कॉम. की शिक्षा ग्रहण कर रहे है और साथ ही इनके लिखने का सफर भी जारी है। इन्हें लिखने से लेकर हर एक वो काम पसन्द है जिसको करने की सोच लेकर आधे में ही सब भूल जाते है। जीवन यथा संभव यादों का नाम है और यहीं यादें इनके सफर को चला रही है और इनकी कलम को भी। एक याद ये मोह भी होगी जो आपके हाथों में है मगर हिस्से में नहीं।