सर्दी की एक रात में नशे में झूमते तीन दोस्तों को नोटों से भरा एक बैग मिलता है। इसकी ख़ुशी एक रात भी नहीं चल पाती क्योंकि उसी रात को नोटबंदी हो जाती है। अब ऐसे में जब लोग दो चार हजार रुपयों के लिए बैंक में जूतम पैजार कर रहे हों वैसे में ये तीनों नोटों का पूरा बैग बदलने पर जूझ पड़ते हैं।नोटबंदी की अफरा-तफरी में लोकल माफ़िया मिनी नार्कोज और पुलिस से जूझते हुए क्या ये अपने मकसद में कामयाब हो पाएँगे? ये कथा नोटबंदी की नहीं बल्कि उसकी परिस्थितियों से उपजी एक कॉमिक थ्रिलर है।ये कहानी है आदमी के मन में उपजते हुए काम क्रोध मद लोभ मोह की उस छल की जिससे ये दुनिया भरी पड़ी है।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.