MORCHHAL


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About The Book

मोरछल’ अपने आप में एक यूनिक किताब है । इस में ब्रजभाषा की चाशनी में डूबी हुई 100 ब्रजगजलें हैं । इन सभी ब्रजगजलों को ब्रजभाषा में ग़ज़लों की शुरूआत करने वाले ब्रजगजल प्रवर्तक नवीन सी. चतुर्वेदी ने रचा है । भारतीय संस्कृति के रसायन यानि देशज शब्दों कहावतों के साथ-साथ शायरी की नज़ाकत में डूबी इन ब्रजगजलों ने शायरी के आशिकों को अपना दीवाना बना लिया है । आली जनाब तुफ़ैल चतुर्वेदी साहब विज्ञान व्रत साहब अशोक चक्रधर साहब एवम् फ़रहत अहसास साहब जैसे तमाम विद्वानों ने नवीन सी. चतुर्वेदी की ब्रजगजलों की सराहना की है । ब्रजभाषा में यह एक अनूठा काम है । चन्द अशआर :- समय कम्प्यूटर’न कौ है । पहाड़े क्यों रटें हमलोग ।। • प्रज्ज्वलित दीप कब करौगे आप । सेर भर घी हू कम परौ है का ।। • चार दिन तौ कटें दुख’न के बिन । नित्त की सी प्रभातफेरी है ।। • महिमा तौ सन्त’न की गावै लम्बरदार । नैन’न में श्रीदेवी राखै लम्बरदार । या की विद्वत्ता कौ पार नहीं भैया । हर मैटर पै लेक्चर पेलै लम्बरदार ।। स्वयं पढ़ने और अपने साहित्यिक अभिरुचि वाले मित्रों को गिफ्ट करने के लिए यह एक बेहतरीन पुस्तक है । मोरछल
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