मृदुला..अजन्मी कविता'..मेरे जीवन की अनेकों घटनाओं से प्रेरित मेरी कविताओं का संग्रह हैं ये किताब...पाँच तत्वों से निर्मित मनुष्य अपने जीवन में पाँच भावों से अभिभूत रहता है....कुछ बहुत कठिन समय की सहज कविताएँ और कुछ सहज समय की कठिन होंगीं। मैं समावेश चाहती थी सभी का। इन कविताओं को बाहर आने में लगभग दो दशक लगे.....परिपक्व होने का समय लगा इन्हें..।मृदुला मेरा मुझसे और मुझ तक का परिचय है। किताबें घूँट- घूँट पीने का विषय हैं....तब ही उसकी तासीर समझ आती है। समय दीजियेगा पढ़ने में!धन्यवाद सहित
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