मृणालिनी अजब प्रेम की गजब कहानी है। मृणालिनी और हेमचन्द्र के बीच अटूट प्रेम है। इसका दूसरा पक्ष राष्ट्र प्रेम भी है। उपन्यास इतिहास के उस आलोक में लिखा गया है जब बख्तियार खिलजी ने आक्रमण कर मगध को अपने अधीन कर लिया था। इसी ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि पर मुख्य कथानक हेमचन्द्र के गुरु माधवाचार्य अपने शिष्य के हृदय में नारी—प्रेम के स्थान पर राष्ट्र—प्रेम और जाति—प्रेम की भावना प्रज्ज्वलित कर देते हैं। कहानी इस बात को बहुत अच्छे से समझाती है कि यदि साध्य पवित्र होना चाहिए साधन स्वयं आपको पवित्र कर देंगे।
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