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About The Book
Description
Author
राजा-रानी की कहानियों का अंत प्रायः ‘‘और वे हँसी-खुशी रहने लगे---’’ जैसे वाक्य पर होता था। यह भाव इतना तृप्तिदायक होता कि हम लोग पूरी रात बिना करवट लिए सोते रहते। मगर आज के दौर में न तो चेहरे पर खुशी है और न ही जीवन में शांति और संतुष्टि जबकि हमारे पास सुख -सुविधाओं के सारे साधन उपलब्ध हैं। अंगुली के एक संकेत पर हम किसी से भी जुड़ सकते हैं और घर बैठे कुछ भी प्राप्त कर सकते हैं। फिर हमारे आस-पास इतनी रित्तफ़ता क्यों है? उद्विग्नता मानसिक कंगाली हमें क्यों जकड़ती जा रही है? इन्हीं सवालों से उलझते हुए मैंने ये कहानियाँ लिखी हैं। मगर इन प्रश्नों की गाँठें इतनी दृढ़ हैं कि इन्हें खोलने का प्रयत्न हमारे सम्मुख नए-नए प्रश्न खड़े करता है।