Mujhe Pukaarti Hui Pukaar | मुझे पुकारती हुई पुकार

About The Book

पुस्तक परिचय'मुझे पुकारती हुई पुकार’ ४० कविताओं का एक ऐसा संग्रह है जो जीवन अस्तित्व और मानवीय स्थिति का अन्वेषण बहुत ही गहनता से करता है। यह पुस्तक चार भागों में विभाजित: पहला भाग आत्म-परिचय और पहचान स्थापित करने पर केंद्रित है दूसरा आंतरिक द्वंद्व और आत्मचिंतन को समर्पित है तीसरा समाज की आलोचना और व्यापक चिंतन पर और चौथा भाग स्वीकार्यता समाधान और आशा के स्वर को दर्शाता है।यह पुस्तक समकालीन हिंदी कविता की शैली में नवाचार का प्रयास करती है। इसमें नैतिकता एकाकीपन और अर्थकी खोज पर आधारित कविताएँ शामिल हैं साथ ही कुछ कविताएँ प्रकृति और उसके साथ हमारे संबंध को भी उजागर करती हैं। यह पुस्तक जीवन के शोर में कुछ क्षणों का शांत चिंतन प्रदान करती है।
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