Mukhbir

About The Book

दुनिया में जन्नत कही जाने वाली जम्मू-कश्मीर की घाटी पिछले कई दशकों से अशांति और आतंकवाद की समस्याओं से जूझ रही है जिसके चलते भारी संख्या में भारतीय सैनिक वहाँ कार्यरत हैं। उनमें से एक कर्नल सुशील तंवर हैं जिन्होंने अपने सैन्य जीवन के छब्बीस सालों में से पन्द्रह साल जम्मू-कश्मीर की घाटी में बिताये हैं। इस दौरान उनका कई बार आतंकवादियों से सामना हुआ और मुठभेड़ में घायल भी हुए। जितनी कुशलता से वे बन्दूक का प्रयोग करते हैं उतनी ही क्षमता से अपनी कलम भी चलाते हैं। मुखबिर उनकी पहली किताब है जिसमें घाटी के अपने अनुभवों पर आधारित उनकी 17 कहानियाँ हैं। ये कहानियाँ पाठक को कश्मीर और वहाँ के लोगों से रू-ब-रू कराती हैं। अमन और शांति बनाये रखने के लिए पिछले कई वर्षों में हज़ारों लोगों ने यहाँ अपने प्राणों की आहुति दी है जिनमें भारतीय सेना अर्द्ध सैनिक बलों और पुलिस के अधिकारियों के अतिरिक्त वहाँ के आम नागरिक भी शामिल हैं। मुखबिर उन सभी शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि है।लेखक सुशील तंवर राष्ट्रीय रक्षा अकादेमी पुणे से ट्रेनिंग के उपरांत सिख रेज़िमेंट में नियुक्त हुए थे। इंटेलिजेंस के क्षेत्र में उनका विशेष योगदान रहा है और उन्हें उनकी सैन्य कार्यकुशलता के लिए ‘विशिष्ट सेवा मेडल’ से सम्मानित किया जा चुका है।उनका संपर्क है: tanwar_sushil@yahoo.com
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