Mukhoton Wala Aadmi
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About The Book

बहुआयामी प्रतिभा के साहित्यकार सैली बलजीत पंजाब के कथाकारों में अग्रगण्य हैं। ‘मुखौटों वाला आदमी’ सैली का सातवां कहानी संग्रह है जिसमें उनकी अपेक्षाकृत बारह लम्बी कहानियां संकलित हैं। विश्व बाजारवाद भूमंडलीकरण तथाकथित स्त्री-विमर्श और दलित विमर्श के तमाम लटकों-झटकों से दूर सैली बलजीत के इस संग्रह की कहानियां निम्न वर्ग और निम्न मध्य वर्ग के भीतर तक दहला देने वाली यातना के गहरे क्लाजअप के रूप में सामने आयी हैं। ये कहानियां निरन्तर टूटते-बिखरते मानवीय मूल्यों को सुरक्षित रख पाने की जद्दोजहद में ही इन कहानियों के रोयें-रेशे परवान चढ़े हैं। ‘चांडाल नहीं’ ‘गोटियां’ ‘ख़बर हो गया एक आदमी’ ‘यंत्र-पुरुष’ ‘ग्रहण’ ‘पुण्य’ ‘छिपकली’ ‘दौड़ अभी जारी है’ ‘नरककुण्ड’ ‘मुखौटों वाला आदमी’ तथा ‘चढ़ावा’ संग्रह की उल्लेखनीय कहानियां हैं जो कथाकार की मानवीय सरोकारों के प्रति प्रतिबद्धता को रेखांकित करती हैं। ये कहानियां समाज को कमजोर करने वाले तत्त्वों को बेपरदा करती हैं और गरीबी की मार की असलियत को भी उजागर करती हैं। इन कहानियों की सबसे बड़ी शक्ति इनकी भाषा है। इन कहानियों की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि ये लेखक के अर्जित अनुभवों की कहानियां हैं गढ़ी हुई कहानियां नहीं हैं इसलिए पाठकों के मन में अपने प्रति अथाह भरोसा पैदा करती हैं। पंजाबियत इन कहानियों का मुख्य सरोकार है जो कहानियों को बेहद जीवंत बनाता है। इस कृति पर मानव संसाध्न विकास मंत्रालय (केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय) नई दिल्ली के अहिन्दी भाषी हिन्दी लेखन हेतु वर्ष 2007 के लिए एक लाख रुपए का पुरस्कार प्राप्त होना निस्संदेह गौरव का विषय है मेरे लिए।
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