‘मुक्ति-दीप’ प्रगतिशील एवं आधुनिक विचारधारा रखनेवाली एक शिक्षित स्त्री सौपर्णिका की कहानी है। संघर्षपूर्ण जीवन के मध्य एक दिन उसे अपनी ही संतानों के षड़्यंत्र का शिकार बनना पड़ जाता है और वह अपनी सारी संपत्ति उनके हाथों गवाँ बैठती है। माँ के अधिकार की लड़ाई में पुत्र अभिराम उनका साथ देता है और वह अपनों से लड़ बैठता है। सौपर्णिका की संघर्षपूर्ण जीवन यात्रा और अंततः मुत्युशय्या की हृदयस्पर्शी गाथा पाठकों को उपन्यास से जोड़ा रखेगा। अन्याय के विरुद्ध अभिराम का संघर्ष और अंततः पुत्र द्वारा माता को प्राप्त मोक्ष-दान की मार्मिक गाथा पाठकों के मानस पटल पर एक अमिट छवि छोड़ देगी।
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