श्रीकृष्ण कथा पर आधारित पांच खंडो में यह एक ऐसी उपन्यास है जो पाठकों का भरपूर मनोरंजन तो करती ही है साथ ही साथ अपनी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से भी उन्हें अवगत कराती है। इस खंड में गर्गऋषि और गोपाली अप्सरा से जन्मे तथा कालनेमि द्वारा संरक्षित महाबलशाली कालयवन की कथा उस ओर संकेत करती है जहां वह आर्य रक्त होते हुए भी आर्यो के विरूद्ध उठ खड़ा होता है। इसमें जरासंध के क्रूर आक्रमण का भी वर्णन है।. About the Author मूलतः उपन्यासकार के नाते प्रसिद्ध रहे रामकमार भ्रमर ने कहानियाँ उपन्यास नाटक व्यंग्य यात्रा-विवरण निबंध सत्यकथाएँ संस्मरण डायरी जीवनी-अंश इंटरव्यूज फिल्म पटकथाएँ वार्ताएँ भाषण बाल-साहित्य महत्वपूर्ण पत्र-व्यवहार समेत हिन्दी की तमाम विधाओं में लेखन कार्य किया। तीसरा पत्थर समेत आपके कई उपन्यासों पर सुपरहिट फिल्मों का निर्माण भी हुआ है।.