श्रीकृष्ण कथा पर आधारित पांच खंडो में यह एक ऐसी उपन्यास है जो पाठकों का भरपूर मनोरंजन तो करती ही है साथ ही साथ अपनी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से भी उन्हें अवगत कराती है। इस खंड में गर्गऋषि और गोपाली अप्सरा से जन्मे तथा कालनेमि द्वारा संरक्षित महाबलशाली कालयवन की कथा उस ओर संकेत करती है जहां वह आर्य रक्त होते हुए भी आर्यो के विरूद्ध उठ खड़ा होता है। इसमें जरासंध के क्रूर आक्रमण का भी वर्णन है।.
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