मोह विनाश पथ<br><br>क्या हम आनंद पाने के लिए किसी और के मोहताज हैं? या आनंद हमारे पास ही है?<br><br>असली आनंद तो हमारे पास ही है उसके लिए हमें किसी और का मोहताज होने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन यह बात पता न होने के कारण हम आनंद बाहर तलाशते हैं और इसके लिए लोगों के मोहताज हो जाते हैं। कम सुविधाओं में आनंदित रह पाना सच्चा विकास है। सुविधाओं से मोह हो जाने की वजह से इंसान दूसरों का मोहताज होने लगता है। जो इंसान अपने शरीर पर अनुशासन रखता है वह मोहताज नहीं मोहतेज जीवन जीता है। मोहतेज यानी मोह और नफरत से परे का जीवन। मोह का जब अतिक्रमण होता है तब मोहतेज जीवन शुरू होता है।<br><br>मोह से मुक्ति पाना यानी मोह का त्याग करना मोह त्याग तब होगा जब आप जानेंगे कि मोह मोती नहीं मिट्टी है। मोह को भी जब आप मिट्टी जानकर परखेंगे तब मोह से मुक्ति मुश्किल नहीं लगेगी। तेज के पारखी बनकर ही मोहताजी से तलाक संभव है इसलिए तेज के पारखी बनें मोह के नहीं।
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