Multiplex Mein Popcorn

About The Book

‘मल्टीप्लेक्स में पॉपकॉर्न’ फ़िल्मों से जुड़े व्यंग्यों का संग्रह है। आजकल क़स्बों और छोटे शहरों से एक परदे के सिनेमा हॉल ग़ायब होते जा रहे हैं। आम आदमी के लिए अपने परिवार के साथ बाहर जाकर फ़िल्में देखना मुश्किल हो गया है। दूसरी ओर ओ.टी.टी. पर सस्ते में बहुत सारा कंटेंट देखा जा सकता है पर उसकी अपनी सीमाएं और समस्याएं हैं। आए दिन किसी-न-किसी बात पर किसी-न-किसी फ़िल्म का विरोध होता है जिसमें बहुत से संगठन और राजनीतिक दल भी शामिल हो जाते हैं। पुस्तक में इन्हीं सब मुद्दों की ओर हास्य-व्यंग्य के माध्यम से ध्यान खींचा गया है। साथ ही ऐसी समस्याओं और विसंगतियों की ओर भी इशारा किया गया है जो फ़िल्मों से सीधे-सीधे तो नहीं जुड़ी हुई हैं पर देश और समाज के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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