उपन्यास में चारों यार कलाकार बिंदास संबंधों के बादशाह हैं। अट्ठारह-बीस साल के इन कलाकारों का अपना एक म्यूजिक बैंड है। और इन्हें आत्मविश्वास है कि इनकी एक रचना इंडस्ट्री में धूम मचा सकती है। बस एक बैनर और एक प्रमोटर की दरकार है। लेकिन मुंबई में इन्हें सबसे बड़े धोखे का सामना तब करना पड़ता है जब उनसे कोई दोस्ती गांठ कर इन्हें अपनी जाल में फंसा लेता है और इनके ओरिजिनल कंटेंट को इंडस्ट्री में सेल कर देता है। जैसे धोखेबाज प्रेमी लड़की को प्रेम जाल में फंसाकर कोठे पर बेच आता है। यहीं से शुरू होती है चारों यार कलाकारों के असली संघर्ष की कहानी। मायानगरी के इस बाज़ार की परत दर परत धीरे-धीरे इनके सामने खुलती चली जाती है तो इनके सपने चूर-चूर होने लगते हैं। तरह-तरह के चरित्र और चेहरों का सामना होता है।