Munna Master Bane Editor

About The Book

ओमप्रकाश अश्क की यह पुस्तक पत्रकारीय जीवन के संस्मरणों पर आधारित जरूर है पर इसकी खासियत यह है कि हर पत्रकार अपना अक्स इसमें देख सकता है। अगर मूल लेखक की जगह दूसरा कोई पत्रकार अपने को रख कर पढ़े तो उसे अपने जीवन का संघर्ष इसमें जरूर नजर आयेगा। संस्मरण और आत्मकथा ऐसी विधा है जिसकी सबसे पहली शर्त ईमानदारी और बेबाकी होती है। अश्क इसमें कामयाब लगते हैं। निजी तौर पर अश्क को मैं तकरीबन तीन दशकों से जानता हूं। कभी साथ काम कर तो कभी जुदा होकर लेकिन उनमें मानवीय संबंधों को जीवंत रखने वाले जो गुण हैं वैसा किसी पत्रकार में दुर्लभ है। पत्रकार दूसरे के दुःख को खबर की शक्ल तो देता है उसका दुःखी हो जाना या दुःख दूर करने के लिए भरसक प्रयास करना शायद ही कोई पत्रकार करता है। एक पत्रकार के सामाजिक सरोकार का मैंने कोलकाता में 'प्रभात खबर' का संपादक रहते ओमप्रकाश अश्क में देखा-पाया या महसूस किया है। उनकी इस पुस्तक की विशेषता यह है कि सहज अंदाज और सरल शब्दों में उन्होंने कई ऐसे प्रसंगों का जिक्र किया है जिससे नवोदित पत्रकार कामयाबी की कला सीख-जान सकते हैं। हिन्दीतरभाषी प्रदेश बंगाल में 'प्रभात खबर' को स्थापित करने में उनकी भूमिका का मैं खुद गवाह रहा हूं। सुचिंतित रणनीति के तहत पाठकों विज्ञापनदाताओं और लेखकों को जोड़ने की कला के वे मर्मज्ञ हैं। आप पुस्तक पढ़ेंगे तो खुद मेरे दावे और विश्वास को भलीभांति समझ जायेंगे। अश्क ने अपने संस्मरण को 2009 तक के पत्रकारीय जीवन तक समेटा है उसके बाद के कालखंड पर उनकी अगली पुस्तक प्रस्तावित है। उनके लेखन वाणी और आचरण का संयम उन्हें अवश्य सफलता प्रदान करेगा यह मेरा विश्वास है. बाकी आप खुद पढ़ कर देखें इसी आग्रह के साथ- कृपाशंकर चौबे (प्रोफेसर एवं अध्यक्ष जनसंचार विभाग)
Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
downArrow

Details


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE