प्रस्तुत पुस्तक मेरी समकालीन हिंदी ग़ज़लों का दस्तावेज है जो जीवन के विभिन्न आयामों से मिले दर्द को सहेजते हुए शे'र कहने का न केवल प्रयास करता है बल्कि सियासी विद्रूपताओं पर तंज़ कसने में भी और नफ़रत का पर्दाफाश करते हुए भी अपनी मुस्कुराहट को बरकरार रखता है।इसलिए पाठकों को इस पुस्तक में संग्रहीत ग़ज़लों में ज़ख्म भी मुस्कुराते प्रतीत होंगे।मुझे पूरा विश्वास है कि हिंदी ग़ज़ल प्रेमी इन ग़ज़लों को स्वीकार करेंगे।-- ईश्वर दयाल गोस्वामी
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