नारद भक्ति सूत्रभक्ति की संपूर्ण समझप्रेम द्वारा परम मुक्ति पाने का सरल रहस्य84 भक्ति सूत्र हैं-सोने पे सुहागामान लीजिए आपके सामने दो प्रकार के फल रखे हैं। दोनों का स्वाद एक जैसा ही है लेकिन पहले को छीलना काटना चबाना बहुत कठिन है और दूसरे को बेहद आसान तो आप किस फल को खाना पसंद करेंगे? ज़ाहिर है आसानवाले फल को! और कोई अगर आपको उस आसानी से खाए जा सकनेवाले फल को निचोड़कर उसका जूस बनाकर दे दे तो आप निश्चय ही कहेंगे ‘वाह! ये तो सोने पे सुहागा हो गया।’बस! समझिए यह पुस्तक आपको वही जूस देने जा रही है।ईश्वर को पाने के दो रास्ते हैं ज्ञान और भक्ति। ज्ञान कठिन फल की तरह है जबकि भक्ति सहज सरल मीठा फल। पौराणिक कथाओं के प्रमुख पात्र नारद मुनि मात्र 84 सूत्रों में आपको इस भक्ति रूपी फल का निचोड़ दे रहे हैं जिसे आप बहुत आसानी से समझकर आत्मसात् कर सकते हैं।o नारद भक्ति सूत्र भक्ति का एनसाइक्लोपीडिया है।o भक्ति के हर पहलू को छोटे-छोटे सूत्रों की मदद से प्रस्तुत किया गया है।o भक्ति क्या है उसका स्वरूप कैसा है उसकी विशेषताएँ लक्षण आदि क्या हैं?o भक्ति कितने प्रकार की है?o भक्ति में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?o भक्ति में क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए?हर भक्ति सूत्र के साथ आपकी न सिर्फ समझ बढ़ेगी बल्कि भीतर भक्ति भाव भी प्रबल होते जाएँगे। आप अपना सामान्य जीवन जीते हुए हँसते-गाते नाचते-झूमते आनंद उठाते अध्यात्म और धर्म के नाम पर बने भ्रामक बंधनों एवं मान्यताओं को तोड़ते हुए ईश्वर के प्रेम में मस्त हो जाएँगे और यही मस्ती आपको सहज ही अंतिम सत्य तक ले जाएगी।
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