*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹288
₹350
17% OFF
Hardback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
नारद मुनि की आत्मकथा’ पुस्तक में कुल मिलाकर छोटे-बड़े ऐसे छियालीस वृंत हैं जो देवर्षि नारद के अपने मुखार-विंद से निसृत हुए और जिन्हें महर्षि वाल्मीकि महर्षि वेदव्यास एवं गोस्वामी तुलसीदास ने पौराणिक ग्रंथों में विभिन्न स्थलों पर प्रस्तुत किया है। इन आयानों से पता चलता है कि नारदजी की कथनी-करनी न केवल भेद रहित है बल्कि सर्वत्र सात्विक और मधुर है। वे एक ओर लोक-कल्याण के लिए तत्पर रहते हैं तो दूसरी ओर दक्ष-पुत्रों वेदव्यास वाल्मीकि राजा बलि बालक ध्रुव दैत्य पत्नी कयाधू का हित साधन करते हैं और जहाँ आवश्यक समझते हैं वहाँ ज्ञान देकर मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करते हैं। इन सब नेक और शुभ कर्मों को करते हुए भी वे राम और कृष्ण एवं विष्णु रूप अपने ‘नारायण’ को कभी विस्मृत नहीं करते। बहुआयामी सकारात्मक व्यक्तित्व वाले देवर्षि नारद बिना भेदभाव के सभी से मधुर व्यवहार करते हुए व्यष्टि और समष्टि के कल्याण हेतु तत्पर रहते हैं। इसीलिए या देव दानव और राक्षस तो या मनुष्य उनका आदर और सम्मान करते हैं। ऐसे दुर्लभ गुण एवं विशेषताओं वाले नारद मुनि श्रीकृष्ण के लिए भी स्तुत्य हैं।