Narak Se Swarg Ki Or (नर्क से स्वर्ग की ओर)

About The Book

मन आपका परम मित्र भी हो सकता है और परम शत्रु भी। दोनों में जो अंतर है वह है मन को व्यवस्थित करना और विचारों तथा कामनाओं पर आत्म-नियंत्रण रखना। जैसा कि श्रद्धेय दादा जे.पी. वासवानी स्पष्ट तथा संक्षिप्त शब्दों में अवलोकन करते हैं : “हमारी कई बीमारियाँ दूर हो जाएँगी यदि हम केवल मन के प्रतिरूप को बदल दें। मन की दशा बदल दें और आप संसार की दशा बदल देंगे।” यह विचारोत्तेजक पुस्तक दादाजी के प्रारंभिक लेखों का संकलन है। इन में से कई लेख ईस्ट ऐंड वेस्ट नामक अंग्रेजी मासिक पत्रिका की श्रंखला में पहले ही प्रकाशित हो चुके हैं जब दादा स्वयं पत्रिका के संपादक थे। यह संकलनकर्ता की पुस्तक है जिसमें 200 से भी अधिक अति उत्तम पुस्तकों के लेखक की कलम से निकले हुए सर्वाधिक प्रेरक लेखों का चयन करके पुस्तक का रूप दिया गया है। दादा की अन्य पुस्तकों की भांति यह पुस्तक भी उनकी चकित करने वाली बुद्धि तथा ज्ञान विशुद्ध प्रेम तथा नि:स्वार्थ करुणा की द्योतक है। श्रद्धेय दादा का ‘नर्क से स्वर्ग की ओर’ जाने का सिद्धांत हमारे जीवन में परिवर्तन लाने का सीधा तथा व्यावहारिक मार्ग है। वह हमें बताते हैं कि “स्वर्ग तथा नर्क हमारी स्वयं की रचना है।” नैसर्गिक विचारों को सोचने से हम अलौकिक शक्तियों के संपर्क में आते हैं और प्रसन्नता पाते हैं - हम जहाँ भी जाते हैं वहाँ आनन्द का प्रसार करते हैं।
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