अपमान का घाव वह घाव है जिसके लगने से प्राण नहीं निकलते परंतु शरीर प्राणहीन हो जाता है। - नरदुर्ग ऐसे ही अपमानित राजा की कथा है। जिसमें अपमान का प्रतिशोध अत्यधिक बढ़ जाने से पूरे दुर्ग को नष्ट हो जाना पड़ता है। दास जीवन नरकीय जीवन हैं। इससे उबरने के लिए किए गए संघर्ष की कथा है नरदुर्ग। दुर्गों की रक्षा के लिए तरह-तरह के परकोटे बानाए जाते थे। दुर्ग के चारों ओर गहरी खाई खोद कर उसमें पानी भरकर घड़ियाल मगरमच्छ एवं अन्य जलीय विषैले जानवरों को छोड़ा जाता था। दीवारों पर हमेशा चौकसी रखी जाती थी। यह पुस्तक ऐसे ही दुर्ग की कथा है।
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