यह पुस्तक लेखिका ने अपनी मां के जीवन से प्रेरित होकर लिखी है। बचपन से लेकर 30 वर्ष तक की अवस्था में मां के जीवन में होने वाले विभिन्न प्रकार के परिवर्तनों घटित होने वाले परिस्थितियों का समावेश है क्योंकि मां एक स्त्री रूप को प्रदर्शित करती है इसीलिए प्रत्येक नारी की व्यथा का वर्णन इसका भी के माध्यम से किया गया है पुस्तक नारी पुष्प पलाश ...अपेक्षित सदा जैसा कि इसका शीर्षक है । जीवन के प्रत्येक क्षण में नारी सदैव अपने परिवार के लिए समर्पित रहती है एक पलाश के पुष्प की भांति और उसका जीवन क्षणभंगुर होता है खुशियां केवल कुछ ही पल के लिए उसके आंचल में रहती हैं। उसके बाद सिर्फ पीड़ा प्रताड़ना एकांकी पल और जीवन का संघर्ष पूरा परिवार उस पर आश्रित रहता है पर फिर भी किसी को उसकी पीड़ा का एहसास नहीं होता स्त्री अपने दुख सुख की भागी स्वयं होती है। स्त्री जीवन के विभिन्न पहलुओं और उतार-चढ़ाव प्रेम त्याग समर्पण सभी पक्षों का मनोहारी वर्णन किया है। स्त्री अपने जैसे कितने ही बीजों का सृजन करती हैं उसके लिए सबसे प्यारा रिश्ता उसकी बेटी होता है अपनी बेटी की सहेली बन अपनी पीड़ा को साझा करते हैं इसमें संकलित कविता मेरी मां ने कहा था इसी को इंगित करते हुए हैं तुम्हारी गिलोय अधूरी नारियां शाम ढलती है चमेली रोती है नहीं बिकना तराजू में ऐसी बहुत सी कविताएं स्त्री की व्यथा का भाव लिए नारी को समर्पित है। नारी की बेचैनी नारी विद्या में उठते झंझावात और सवालों का भी पुस्तक में समावेश किया है।लेखिका ने पुष्प पलाश नारी पुस्तक में कविताओं के माध्यम से नारी जीवन की दुश्वारियां का वर्णन किया है क्योंकि लेखिका खुद एक नारी हैं स्वयं अनुभव का भी भाव उनकी कविताओं में दृष्टिगत होता है।
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