भारत में सर्वाधिक पढ़े जाने वाले ग्रंथों में रामायण और महाभारत हैं। इनमें भी रामायण की लोकप्रियता थोड़ी अधिक है। रामायण के पात्र श्रीराम लक्ष्मण सीता और रावण आदि की कथा एक आम आदमी को अपना चरित्र बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके फलस्वरूप व्यापक प्रभाव को देखते हुए रामलीला के मंचन की शुरुआत हुई। सैकड़ों वर्षों से गांव-कस्बाें से लेकर महानगरों तक रामलीला का उत्साहपूर्वक मंचन होता है। दशहरा के दिन रावण के पुतले का दहन होता है और समूची दुनिया में फैले हिंदू धर्म के माननेवाले त्योहार मनाते हैं। देश और विदेश में होने वाली रामलीला को ध्यान में रखते हुए रामलीला के पात्रें को विस्तार देते हुए इसके नाट्यरूप की परिकल्पना की गई। इस पुस्तक में मंचीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए अब तक के छपे सभी प्रचलित नाटकों की विशेषताओं का समावेश किया गया है। इसमें ‘कैकेयी का स्वप्न’ जैसे पात्रें को लेकर कुछ नये प्रयोग भी किए गए हैं। यही कारण है कि यह रामलीला पर अत्यंत प्रभावशाली नाट्य प्रस्तुति वाली पुस्तक बन गयी है।
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