Naye Bharat Ki Khoj (नये भारत की खोज) & Krishna Smriti (कृष्ण स्मृति : हीरे जो कभी परखे ही न गए - ओशो)
Hindi

About The Book

This combo product is bundled in India but the publishing origin of this title may vary.Publication date of this bundle is the creation date of this bundle; the actual publication date of child items may vary.कृष्ण का व्यत्तिफ़त्व बहुत अनूठा है। अनूठेपन की पहली बात तो यह है कि कृष्ण हुए तो अतीत में है लेकिन हैं भविष्य के। मनुष्य अभी भी इस योग्य नहीं हो पाया कि कृष्ण का समसामयिक बन सके। अभी भी कृष्ण मनुष्य की समझ के बाहर हैं। भविष्य में ही यह संभव हो पाएगा कि कृष्ण को हम समझ पाएं।कृष्ण अकेले ही ऐसे व्यत्तिफ़ हैं जो धर्म की परम गहराइयों और ऊंचाइयों पर होकर भी गंभीर नहीं हैं उदास नहीं हैं रोते हुए नहीं हैं। साधारणतः संत का लक्षण ही रोता हुआ होना चाहिए=जिंदगी से उदास हारा हुआ भागा हुआ। कृष्ण अकेले ही नाचते हुए व्यत्तिफ़ हैं=हंसते हुए गीत गाते हुए। अतीत का सारा धर्म दुखवादी था। कृष्ण को छोड़ दें तो अतीत का सारा धर्म उदास आंसुओं से भरा हुआ था। हंसता हुआ धर्म जीवन को समग्र रूप से स्वीकार करने वाला धर्म अभी पैदा होने को है।आज जो कुछ थोड़े से लोग इस दुनिया को बचा सकते हैंउनमें ओशो हैं। दुर्भाग्य से प्रसार माध्यमों एवं सिरफिरे पढ़े-लिखे लोगों ने उनकी प्रतिमा मलिन करने का प्रयास चलाया है। हम सभी को इसके प्रति सजग होना चाहिए।सभी बुद्धपुरुष अपने समय में उपेक्षित एवं अपमानित रहे हैं। सभी ने उन्हें दुर्लक्षित रखने का प्रयास किया है।ओशो जैसे बहुत कम बुद्धपुरुष ऐसे होते हैं जो अपने समय को प्रभावित कर देते हैं। इसलिए उन्हें प्रस्थापितों का विरोध भी उतना ही होता है। About the Author ओशो एक ऐसे आध्यात्मिक गुरू रहे हैं जिन्होंने ध्यान की अतिमहत्वपूर्ण विधियाँ दी। ओशो के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए हैं। इन्होंने ध्यान की कई विधियों के बारे बताया तथा ध्यान की शक्ति का अहसास करवाया है।हमें ध्यान क्यों करना चाहिए? ध्यान क्या है और ध्यान को कैसे किया जाता है। इनके बारे में ओशो ने अपने विचारों में विस्तार से बताया है। इनकी कई बार मंच पर निंदा भी हुई लेकिन इनके खुले विचारों से इनको लाखों शिष्य भी मिले। इनके निधन के 30 वर्षों के बाद भी इनका साहित्य लोगों का मार्गदर्शन कर रहा है।ओशो दुनिया के महान विचारकों में से एक माने जाते हैं। ओशो ने अपने प्रवचनों में नई सोच वाली बाते कही हैं। आचार्य रजनीश यानी ओशो की बातों में गहरा अध्यात्म या धर्म संबंधी का अर्थ तो होता ही हैं। उनकी बातें साधारण होती हैं। वह अपनी बाते आसानी से समझाते हैं मुश्किल अध्यात्म या धर्म संबंधीचिंतन को ओशो ने सरल शब्दों में समझया हैं।
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