*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.
₹158
₹209
24% OFF
Paperback
All inclusive*
Qty:
1
About The Book
Description
Author
सारूल की कविताओं में दैनिक जीवन की बुदबुदाहटें हैं जिसे कोई सुन ले तो अच्छा और न सुने तो और अच्छा। इन नज़्मों में उर्दू कविता की वह ताक़त तवाफ़ करती है जो मनुष्य की भीतरी दुनिया का रेशा-रेशा उधेड़कर रख देती है। भीतरी दुनिया को इस तरह उधेड़ना दरअसल दुनिया को नये सिरे से बुनने की बेचैनी से संभव होता है। इन नज़्मों के दुःख संत्रास बेचैनी और पीड़ाएँ इतनी विनम्र हैं कि वे अपने होने से नापता रहने में कोई नुक़सान नहीं समझती हैं। सारूल की कविताओं में उतरने के लिए कोई बहुत कौशल की आवश्यकता नहीं पड़ती है। लेकिन पाठक अपने आत्म को दैनिक चर्चा की सामूहिक गतियों का हिस्सा नहीं समझता तो इन कविताओं में उतरना संभव नहीं है। इन नज़्मों की आसनियाँ बहुत दुरूह हैं। - विहाग वैभव हिन्दी कवि