NEEL GATHA


LOOKING TO PLACE A BULK ORDER?CLICK HERE

Piracy-free
Piracy-free
Assured Quality
Assured Quality
Secure Transactions
Secure Transactions
Fast Delivery
Fast Delivery
Sustainably Printed
Sustainably Printed
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.
Review final details at checkout.

About The Book

*इस महाकाव्य का कथानक कश्मीर के जन्म की कथा से वर्तमान तक फैला है * जिसे स्थानीय आख्यान विभिन्न महात्म्यों लोककथाओं स्थापत्य लोक स्मृति प्रामाणिक इतिहास विदेशी यात्रियों के वृतांतों ने एक विलक्षण गहराई दी है। पुस्तक के फ्लैप में ठीक लिखा है कि आठ कथा-पर्वों में नियोजित यह काव्य एक तरह से सभ्यता- समीक्षा का महाआख्यान है जो लोगों की मुक्तिकामी चेतना से अनुप्राणित है। हर कथा-पर्व में एक भिन्न आख्यान अथवा ऐतिहासिक प्रसंग है जो एक शाश्वत द्वंद्व अंतर्विरोध वर्चस्व की राजनीति सभ्यताओं के संघर्ष मूल जीवन अधिकारों से वंचित किए जाने व विस्मृति के विरुद्ध नीलनाग के अनथक संघर्ष की गाथा है। नीलनाग इतिहास के प्रत्येक दौर में कहीं विराट प्राक् चेतना कहीं साक्षी और भोक्ता है कहीं दृष्टा है जबकि पारंपरिक संस्कृति की निरंतरता को एक विराट परिप्रेक्ष्य में देखने की समझ रखता है। नील गाथा के कथानक की संघटना के क्रमिक विकास की सूत्रबद्धता देखते ही बनती है। इसी बहाने अग्निशेखर कश्मीर के लिखित-अलिखित इतिहास को खंगाल कर उसके तल में जाकर इस महाकाव्य की केंद्रीय संवेदना के गहन व अछूते सूत्र पकड़ते दिखाई देते हैं। काव्य-नायक नीलनाग कुल मिलाकर अनिवार्य साहस मर्मवेदना व विवेक के साथ प्रतिगामी शक्तियों से नित्य नई परिस्थितियों में सदैव संघर्ष करने वाला प्रतीक-पुरुष है। पूरा आख्यान युगों युगों की कश्मीर की देशज चेतना से अनुप्राणित अथवा देशकाल सापेक्ष होते हुए भी सार्वभौम है। एक संघर्षरत समाज-जीवन के इस महाआख्यान को पारंपरिक महाकाव्य के स्थापित लक्षणों के अभाव के होते भी इसे उस गरिमा से वंचित नहीं रखा जा सकता। अग्निशेखर ने नील गाथा नामक महाकाव्य रचकर न केवल समकालीन हिन्दी कविता में एक नया और महत्त्वपूर्ण अध्याय जोड़ा है
downArrow

Details