यह पुस्तक मेरे संघर्ष का मेरी भावनाओं का शाब्दिक संस्करण है । मेरी प्रथम प्रति के रूप में आपके समक्ष उपस्थित है । ओजस्वी साहित्यकार या नामवर लेखक के रूप में स्थापित होने का मेरा कोई उद्देश्य नहीं है । माँ सरस्वती के वरदहस्त से ओतप्रोत लेखको कवियों एवं युवा साहित्यकारों की धारदार लेखनी के समक्ष मैं कहीं भी ठहरता नहीं हूँ । ये मेरा आत्मविवरण है जिसमें मैंने अपने सपनों को पूर्ण करने हेतु किए जाने वाले संघर्ष को दर्शाया है । भीड़ से अलग हटकर दिखने की चाह साधारण से श्रेष्ठ होने के सपनों को आँखों में संजोकर अपने सामर्थ्य के अनुरूप अपनी कल्पनाओं को सच करने के उद्देश्य से अथक परिश्रम किया । कर्मशीलता के सिद्धांतों को सर्वोच्च मानते हुऐ अपना संघर्ष आरंभ किया । देश के ख्यातिवान व्यक्तियों में शुमार एक ऐसा व्यक्तित्व जो मेरे आदर्श के रूप में सदैव विद्यमान रहा है उनके संघर्षों की महक को आत्मसात कर अपने सपनों को आकार देने की राह पर चलता रहा । मेरे तमाम संघर्षों का असफलताओं ने ही वरण किया । अपनी कल्पनाओं के अंत के साथ मैं भी साधारण भीड़ का हिस्सा बनकर रह गया । मेरी सोच कर्मशीलता के सिद्धांतों को त्याग कर भाग्यवाद पर आकर ठहर गई । तत्पश्चात जीवन में ऐसी अप्रत्याशित घटना घटी जिससे मेरा जीवन अस्त व्यस्त हो गया किंतु मेरे ईश के आशीर्वाद से कुछ ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुई जिसमें सफलता हांसिल कर ऊंचाइयों पर पहुंचने में असफल होते हुए भी मैं श्रेष्ठ होने के आत्मगौरव को महसूस कर सका । इन सफलताओं ने मेरे मृत हो चुके आत्मविश्वास हौसलों व सकारात्मक विचार धाराओं को पुनर्जीवित कर मुझे पुनः कर्मशीलता के पथ पर अग्रसर किया व मेरे शून्यता से भरे जीवन में नव चेतना का संचार किया ।
Piracy-free
Assured Quality
Secure Transactions
Delivery Options
Please enter pincode to check delivery time.
*COD & Shipping Charges may apply on certain items.